मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री मंडी टैक्स में कई बार राहत देने की बात कह चुके हैं। इस बार भी बजट में मंडी टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई है। मध्य प्रदेश में उपज पर प्रति सैकड़ा 1.20 रुपये मंडी टैक्स लग रहा है। इधर आस-पास के राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में ये एक रुपये से भी कम है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 01:07:58 PM (IST)
Up to date Date: Thu, 04 Jul 2024 01:17:27 PM (IST)
HighLights
- दाल उद्योग और आम किराना व थोक बाजार मंडी टैक्स से हैं परेशान।
- पिछले साल प्रदेश की मंडियों में 16 दिन तक हड़ताल भी की गई थी।
- कृषि मंत्री ने भी कई बार मंडी टैक्स में राहत देने का ऐलान किया था।
Mandi Tax in MP: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। मोहन सरकार के पहले पूर्ण बजट से प्रदेश का दाल-दलहन उद्योग निराश नजर आता है। दरअसल मध्य प्रदेश में बीते तीन-चार वर्षों से मंडी टैक्स की असमानता दूर करने की मांग हो रही है। इस संबंध में घोषणाएं भी सार्वजनिक मंचों से होती रही हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले व्यापारियों के दबाव में तत्कालीन सरकार ने आंशिक राहत तो दी थी, लेकिन ताजा बजट में मंडी टैक्स में राहत का कोई ठोस ऐलान नहीं हुआ। मध्य प्रदेश में अनाज, दलहन और तमाम कृषि उपज पर 1.20 रुपये प्रति सैकड़ा की दर से मंडी टैक्स लागू हो रहा है।
कई बार मंडी टैक्स से राहत देने का ऐलान हुआ था
दाल उद्योग और आम किराना व थोक बाजार मंडी टैक्स की इस अधिक दर से परेशान नजर आता है। बीते साल मंडी टैक्स की अधिक दर को लेकर 16 दिन तक प्रदेश की मंडियों में हड़ताल भी की गई थी। इससे पहले तीन वर्षों में कम से कम तीन बार कृषि मंत्री ने भी सार्वजनिक मंचों से मंडी टैक्स में राहत देने का ऐलान किया, लेकिन उस पर अमल आज तक नहीं हो सका।
एमपी में 1 रुपये 20 पैसे लगता है मंडी टैक्स
मध्य प्रदेश में भले ही यहां उपजी फसल हो या बाहर से आयात की गई दलहन या कोई अनाज, सभी पर सरकार मंडी टैक्स वसूलती है। मंडी टैक्स की दर भी प्रदेश में सबसे ज्यादा बताई जाती है। आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल के अनुसार मध्य प्रदेश में 1 रुपये 20 पैसे प्रति सैकड़ा मंडी टैक्स लगता है।
टैक्स लगने से बढ़ जाती है सभी चीजों की लागत
महाराष्ट्र में 80 पैसा प्रति सैकड़ा मंडी टैक्स लागू है। इसके मुकाबले गुजरात में 50 पैसे प्रति सैकड़ा ही मंडी शुल्क लगता है। इसी तरह उत्तर प्रदेश और बिहार में तो मंडी शुल्क शून्य है। ऐसे में हो यह रहा है कि यहां बनने वाली दाल या प्रोसेस होने वाले पोहे-चावल सभी की लागत इस टैक्स के लगने के कारण बढ़ जाती है।