New Legal Regulation’s: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नए कानून को लेकर दी एक माह की राहत, डिफॉल्ट नहीं होगी याचिका

New Legal Regulation’s: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नए कानून को लेकर दी एक माह की राहत, डिफॉल्ट नहीं होगी याचिका

नए कानून से अभी कोई बड़ी समस्या न हो इसके लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया है। जिसके तहत जुलाई तक कोर्ट में रजिस्टर्ड होने मामलों में पुरानी धाराओं का उल्लेख होने पर भी याचिका डिफॉल्ट नहीं की जाएगी।

By Neeraj Pandey

Publish Date: Wed, 03 Jul 2024 06:44:24 PM (IST)

Up to date Date: Wed, 03 Jul 2024 11:55:00 PM (IST)

नए कानून के लागू होने के बाद पुराने कानून के तहत भी होगी सुनवाई। प्रतीकात्मक तस्वीर

HighLights

  1. आइपीसी व सीआरपीसी और बीएनएसएस दोनों में सुनवाई होगी
  2. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जारी किया आदेश, एक माह की मोहलत
  3. दस्तावेज में कमी होने पर आवेदन हो जाता है डिफॉल्ट, मिलेगी राहत

विक्रम सिंह तोमर, नईदुनिया. ग्वालियर : नए कानून के लागू होने के साथ अब न्यायालयों में सुनवाई भी उन्ही कानूनी धाराओं के अनुसार होगी, लेकिन इतना बड़ा परिवर्तन समस्या पैदा न करे, इसे ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, जुलाई माह के अंत तक दायर होने वाली अपील में आइपीसी व सीआरपीसी और बीएनएसएस दोनों में सुनवाई होगी।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर, ग्वालियर व इंदौर खंडपीठ में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। इस आशय का आदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार वंदन मेहता ने जारी कर दिया है। हाई कोर्ट में दायर किए जाने वाला कोई भी मुकदमा सबसे पहले रजिस्ट्री विभाग के समक्ष जाता है। वहां से उसे जांचे जाने के बाद आगे न्यायालय में पेश किया जाता है।

दस्तावेज में कमी होने पर आवेदन हो जाता है डिफॉल्ट

वहीं अगर आवेदन या मुकदमे के दस्तावेज में कोई कमी- त्रुटि या वांछित दस्तावेज मौजूद न होना पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में रजिस्ट्री विभाग उस आवेदन को डिफॉल्ट यानी उसमें कमी अंकित कर देता है और वह न्यायालय को नहीं भेजी जाती। अब यह व्यवस्था दी गई है कि पुरानी धाराओं का उल्लेख होने पर भी याचिका डिफॉल्ट नहीं की जाएगी।

हाई कोर्ट की प्रिंसिपल सीट जबलपुर के इस आदेश के पालन में अभी प्राथमिक तौर पर दोनों कानूनों की धाराओं में मुकदमा दायर करने का मौका दिया गया है। इस निर्णय से वकीलों को नए कानून की धाराओं को व्यवहार में लाने में आसानी होगी, साथ ही रजिस्ट्री विभाग भी सहजता से काम कर सकेगा।राजेश शुक्ला, अतिरिक्त महाधिवक्ता, हाई कोर्ट ग्वालियर खंडपीठ।

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