शाम 5:30 बजे के बाद एक – एक कर गिनती के पांच डाक्टर पहुंचे। जबकि 30 डाक्टर अनुपस्थित थे। जिला अस्पताल में पदस्थ कुछ डाक्टर बिलासपुर से आते हैं इसलिए वे शाम की ओपीडी में नहीं आते हैं। पहले डाक्टरों में सेवा भावना होती थी। दिन हो या रात डाक्टर हमेशा सेवा भावना से मरीजों का इलाज करते थे।लेकिन अब वह सेवा भावना पूरी तरह से खत्म हो गई है।
By komal Shukla
Publish Date: Wed, 03 Jul 2024 12:11:28 AM (IST)
Up to date Date: Wed, 03 Jul 2024 12:11:28 AM (IST)
HighLights
- शाम 5 बजे अस्पताल की बंद थी ओपीडी
- शाम 5:18 बजे इंतजार करते बैठे रहे मरीज
- शाम 5:15 बजे तकचैम्बर की खाली कुर्सी
नईदुनिया न्यूज , जांजगीर – चांपा : जिला अस्पताल में पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते इलाज कराने पहुंचे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मंगलवार को शाम की ओपीडी के निर्धारित समय पांच बजे तक अस्पताल के 35 डाक्टर में से एक भी डाक्टर नहीं पहुंचे थे।
साढ़े पांच बजे तक एक एक कर पांच डाक्टर ड्यूटी पर पहुंचे। अधिकांश डाक्टरों के चैंबर की कुर्सियां खाली थी। जबकि बड़ी संख्या में मरीज डाक्टरों का इंतजार करते बैठे हुए थे। जो डाक्टर अस्पताल पहुंचे थे वे भी घंटेभर तक ड्यूटी करने के बाद चले गए।
वहीं जिला अस्पताल के कई डाक्टर सुबह के बाद शाम की ओपीडी समय में आते ही नहीं है। जबकि इधर जिला प्रशासन द्वारा लोगों की स्वास्थ्य की चिंता करते हुए स्वस्थ्य जांजगीर चांपा अभियान चला रहा है। अभियान की सफलता के लिए कलेक्टर गांव गांव घूमकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
जिला अस्पताल की सुविधाओं में विस्तार होने के बाद यहां उपचार कराने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। अस्पताल में सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना की गई है ताकि मरीजों को लाभ मिल सके। मगर दो से ढाई लाख रूपये महीने का वेतन लेने वाले डाक्टर अपने कर्तव्य के प्रति गंभीर नहीं हैं। उनके मनमाने रवैये के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पिछले दिनों कलेक्टर ने सभी अधिकारी कर्मचारियोंको समय पर अस्पताल में उपस्थित रहकर मरीजों का बेहतर उपचार करने और किसी प्रकार की परेशानी नही होने की हिदायत थी। मगर इसके बाद भी अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्था नहीं सुधर रही है। डाक्टरों पर उनके निर्देश का असर नहीं हुआ। शासन द्वारा मरीजों की सुविधा के लिए शाम की भी ओपीडी संचालित करने की व्यवस्था लागू की गई है। मगर जिला अस्पताल में शाम की ओपीडी के समय में डाक्टर ड्यूटी में नहीं पहुंचते हैं। मगर इस तरफ जिला प्रशासन के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
उधर दूसरी तरफ जिला प्रशासन द्वारा जिलेवासियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 1 जुलाई से स्वस्थ्य जांजगीर चांपा अभियान की शुरूआत की गई। मगर इसके दूसरे ही दिन मंगलवार 2 जुलाई को कलेक्टर उधर अभियान के तहत गांव गांव में जाकर लोगों को जागरूक करने में लगे हुए थे वहीं इधर जिला अस्पताल में शाम की ओपीडी में शाम पांच बजे तक एक भी डाक्टर नहीं पहुंचे थे। शाम पांच बजे के करीब शिशु रोग विशेषज्ञ कक्ष, चिकित्सा अधिकारी कक्ष, सोनोग्राफी कक्ष, आर्थोपेडिक्स कक्ष सहित सभी चिकित्सकों के चैम्बर के सामने बैठे मरीज उनके आने का इंतजार कर रहे थे।
जांच रिपोर्ट के लिए भटकते हैं स्वजन
जिला अस्पताल में ओपीडी का संचालन सुबह व शाम किया जाता है। लैब सुबह 9 बजे से संचालित किया जाना है मगर काम काज 10 बजे के बाद ही शुरू होता है। स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पाती है। दोपहर 1 बजे ओपीडी का समय समाप्त हो जाता है
जबकि रिपोर्ट उसके बाद दी जाती है तब तक डाक्टर चले जाते हैं। ऐसे में रिपोर्ट दिखाने के लिए फिर दूसरे दिन आना पड़ता है। अवकाश होने पर रिपोर्ट के लिए एक से दो दिनों तक लैब का चक्कर काटना पड़ जाता है। जबकि शाम की ओपीडी में उपचार कराने पहुंचे मरीजों को रिपोर्ट शाम को न देकर दूसरे दिन दी जाती है। स्टाफ के मनमाने रवैये के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
अस्पताल का रास्ता भूले भाजपा नेता
सालभर पहले तक कांग्रेस शासन काल में जिला अस्पताल की अव्यवस्था को सुधारने के लिए समय समय पर वहां पहुंचकर जायजा लेने और व्यवस्था सुधारने की मांग करने वाले भाजपा नेता अब जिला अस्पताल का रास्ता भूल गए हैं। सालभर पहले भाजपा नेताओं ने शाम की ओपीडी का औचक निरीक्षण किया था जिसमें अनुपस्थित डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। मगर लगता है डबल इंजन की सरकार बनने के बाद अब उन्हें जिला अस्पताल की सारी व्यवस्था सुधरी हुई नजर आ रही है या अब लोगों की समस्या से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।