2 घंटे पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ‘कहानी’, ‘रईस’ और ‘रात अकेली है’ के बाद एक बार फिर कॉप के किरदार में फिल्म ‘रौतू का राज’ में नजर आ रहे हैं। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म जी5 पर स्ट्रीम हाे चुकी है। मर्डर मिस्ट्री पर आधारित इस फिल्म की लेंथ 1 घंटे 55 मिनट की है। दैनिक भास्कर ने फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार रेटिंग दी है।
फिल्म की कहानी क्या है?
फिल्म की कहानी उत्तराखंड के बैकड्रॉप पर आधारित है। उत्तराखंड के एक छोटे से शहर रौतू में चल रहे एक ब्लाइंड स्कूल में अचानक से एक वॉर्डेन संगीता (नारायणी शास्त्री) की मौत हो जाती है। वॉर्डेन की मौत शुरू में नैचुरल डेथ लगती है। लेकिन बाद में यह घटना शहर में चर्चा का विषय बन जाती है। यह घटना नैचुरल डेथ और मर्डर के बीच उलझ जाती है। इनवेस्टिगेशन ऑफिसर दीपक नेगी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अपने टीम के साथ निकलते हैं।
मर्डर का शक ब्लाइंड स्कूल के ट्रस्टी मनोज केसरी (अतुल तिवारी) पर भी जाता है। इनवेस्टिगेशन के दौरान पता चलता है कि स्कूल से पायल नाम की लड़की मिसिंग है। इंस्पेक्टर दीपक नेगी इस मामले को लेकर थोड़ा निजी भी हो गए हैं। वॉर्डेन का हत्यारा कौन है? वॉर्डेन की हत्या क्यों की गई है? इंस्पेक्टर दीपक नेगी हत्या की इस गुत्थी को कैसे सॉल्व करते हैं? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
इनवेस्टिगेशन ऑफिसर दीपक नेगी के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म को अपने कंधे पर उठाने की कोशिश की है। राजेश कुमार ने फिल्म में सब इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई है। नवाजुद्दीन और राजेश की एक्टिंग और टाइमिंग सधी हुई लगी है। अतुल तिवारी, नारायणी शास्त्री और फिल्म के बाकी कलाकारों ने अपनी-अपनी भूमिका के साथ न्याय करने की कोशिश की है।
फिल्म का डायरेक्शन कैसा है?
फिल्म का डायरेक्शन आनंद सुरपुर ने किया है। फिल्म की स्टोरी और स्क्रीनप्ले काफी कमजोर है। फिल्म में उन्होंने कुछ सीन्स ऐसे क्रिएट किए हैं, जिसका मूल कथानक से कोई तालमेल नहीं खाता है। आखिरी के पांच मिनट छोड़ दें तो पूरी फिल्म बोर करती है। इनवेस्टिगेशन वाले सीन्स में उन्हें थोड़ा और रिसर्च करने की जरूरत थी।
फिल्म का म्यूजिक कैसा है?
इस फिल्म में ऐसा कोई गीत नहीं, जिसे सुनकर गुनगुनाने का मन करे। मर्डर मिस्ट्री और सस्पेंस वाले सब्जेक्ट पर बनी फिल्मों में बैकग्राउन्ड म्यूजिक बहुत अच्छा होना चाहिए, जो सीन्स को प्रभावशाली बना सके। लेकिन इस फिल्म का बैकग्राउन्ड म्यूजिक भी कुछ खास नहीं है।
फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं?
यह फिल्म रेप जैसे जघन्य अपराधों पर सवाल खड़ी करती है, साथ ही दिव्यांग बच्चों के बेहतर भविष्य से जुड़े सॉल्यूशंस पर आधारित है। यही एक वजह है कि इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।