तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा था कि वे यह देखें कि कहां इस व्यवस्था को लागू कर सकते हैं। कृषि विभाग ने पहल की और पायलट प्रोजेक्ट करके भी देख लिया।
By Vaibhav Shridhar
Edited By: Paras Pandey
Publish Date: Thu, 30 Could 2024 02:00:00 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 30 Could 2024 02:00:00 AM (IST)
HighLights
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के बीज प्रदर्शन कार्यक्रम में किया था प्रयोग
- केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं में ई-रुपी व्यवस्था लागू करने के दिए थे निर्देश
- नकदी देने पर इसके भी दुरुपयोग के मामले सामने आते थे
वैभव श्रीधर, नईदुनिया भोपाल। मध्य प्रदेश में अब किसानों को सरकारी अनुदान के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। उन्हें ई-रुपी की सुविधा दी जाएगी जिसके माध्यम से अनुदान राशि मिलेगी। अनुदान वाली योजनाओं से बीज, खाद या उपकरण खरीदने के लिए किसान के नाम से ही ई-रुपी जारी होगा। जब वह बीज या खाद लेने जाएगा तो सहकारी समिति या अधिकृत विक्रेता को ई-रुपी वाउचर बताएगा।
इसे स्कैन करने पर किसान के मोबाइल पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आएगा, इसके माध्यम से विक्रेता के खाते में राशि का भुगतान हो जाएगा। इस व्यवस्था का लाभ यह होगा कि जिस किसान के नाम पर अनुदान स्वीकृत हुआ है, उसे ही लाभ मिलेगा। किसान के नाम से अन्य लोगों द्वारा गड़बड़ी की संभावना समाप्त होगी। साथ ही, जिस वस्तु के लिए सरकार अनुदान दे रही है, वही खरीदी जा सकेगी। नकदी देने पर इसके भी दुरुपयोग के मामले सामने आते थे।
लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। रायसेन और नर्मदापुरम जिले में पायलट प्रोजेक्ट चलाकर भी देख लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुदान की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए ई-रुपी व्यवस्था को लागू करने के लिए सभी राज्यों से कहा था। मध्य प्रदेश के कृषि विभाग ने इस नवाचार को पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी कर ली है।
इसमें कृषि उपकरण हो या फिर बीज, खाद या अन्य सामग्री खरीदने के लिए विभिन्न योजनाओं में दी जाने वाले अनुदान की राशि अब ई-रुपी के माध्यम से दी जाएगी। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होते ही मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव से अनुमोदन लेकर व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। दो वर्ष से चल रही थी तैयारी ई-रुपी व्यवस्था को लागू करने की तैयारी लगभग दो वर्ष से चल रही थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा था कि वे यह देखें कि कहां इस व्यवस्था को लागू कर सकते हैं। कृषि विभाग ने पहल की और पायलट प्रोजेक्ट करके भी देख लिया। यह होगा लाभ विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस व्यवस्था का लाभ यह होगा कि न तो डीलर को भुगतान के लिए जिला कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ेंगे और न ही किसान को कोई परेशानी होगी।
पारदर्शिता आएगी और जिस उद्देश्य के लिए अनुदान दिया गया है, उसमें ही उपयोग होगा। चूंकि, किसान का मोबाइल नंबर पहले से पंजीकृत होगा, इसलिए वाउचर उसके पास ही रहेगा। ओटीपी भी बैंक द्वारा उसके नंबर पर ही भेजा जाएगा। उपकरण, बीज, खाद खरीदने के लिए दिया जाता है अनुदान सरकार किसानों को थ्रेशर, सीड ड्रिल (बोवनी के उपयोग में आने वाली मशीन), स्ट्रा रीपर (खेत में बचे डंठल को भूसा बनाने की मशीन), रोटावेटर, राइस ट्रांसप्लांटर, प्लाऊ (गहरी जुताई कर मिट्टी को पलटने वाला यंत्र), ट्रैक्टर-ट्राली, कल्टीवेटर (खेती जुताई यंत्र) समेत अन्य यंत्र खरीदने के लिए प्रतिवर्ष सौ करोड़ रुपये से अधिक का